भादरा खबर:22 जुलाई 2022
आजकल भादरा में एक नया ही घटनाक्रम चल रहा है।गांव चिड़िया गांधी में हुई गौहत्या ने नया राजनीतिक मोड़ ले रखा है।इस घटना के बाद संजीव बैनीवाल को बदनाम करने के लिए एक नई साजिश रची गई है जिसका आज हम पर्दाफाश करने जा रहे है।
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जिस दिन यह घटना हुई उस दिन प्रशासन ने गौहत्या को अफवाह तक करार दे दिया।हालांकि इसकी एफएसएल रिपोर्ट के लिए नमूना भेज दिया गया।उस वक्त प्रशासन ने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जैसे वहां गौकसी नही हुई है।यही से विवाद शुरू होता है।उस वक्त पूर्व विधायक संजीव बैनीवाल ने इस मामले एफएसएल जांच की मांग की जो प्रशासन द्वारा मान ली गई।हालांकि तब तक प्रशासन व वर्तमान विधायक के कार्यकर्ताओं ने इस घटना को अफवाह करार देकर बकरा या पाड़ा घोषित कर दिया था।इस दौरान पूर्व विधायक संजीव बैनीवाल दंगा न हो ये सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहे।कार्रवाई में ढील भी इसलिए दी गई ताकि मामले की प्रमाणिकता एफएसएल रिपोर्ट आ जाये।इसके साथ उनको यह भी डर था कि कहीं इस रिपोर्ट में विधायक बलवान पूनिया या प्रशासन फेरबदल ना कर दें।अगर ऐसा कर दिया जाता तो ओर संजीव बैनीवाल जी ने कोई अग्रेसिव कदम उठाया होता तो भी आरोप उन पर ही लगाए जाते।
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यहां से प्लान B प्रयोग में लाया गया।
इस घटना के बाद दोनों दल काफी सक्रिय हो चुके थे लेकिन पूर्व विधायक जी के पास सरकार में कोई रोल न होने व मौजूदा विधायक द्वारा रिपोर्ट में दखलंदाजी का अंदेशा था।होना भी यह था कि रिपोर्ट में इसे बकरा या पाड़ा का मांस घोषित किया जाता लेकिन यही पर एक अन्य राजनीतिक घटना के बाद प्लान B को अंजाम दिया गया।जैसे ही अजीतपुरा में मुस्लिम समुदाय ने संजीव बैनीवाल को समर्थन दिया वही से विपक्षी दल ने नई चाल चली।इस चाल में भाजपा के ही एक पदाधिकारी द्वारा सहयोग किया गया।आपको बताते चले कि इस पदाधिकारी को यह डर था कि अगर संजीव बैनीवाल को ऐसे ही समर्थन मिलता रहा तो भाजपा के टिकट पर उन्हें कभी टिकट नही मिल पाएगी यही से सांठगांठ हुई।
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सोची समझी साजिश के तहत पूर्व विधायक पर आरोप लगाए गए
इस साजिश में विरोधियों को नया साथी मिलने के बाद पूरी साजिश को अंजाम देने के लिए रोड मैप तैयार किया गया। एक ओर पदाधिकारी के द्वारा संजीव बैनीवाल पर मनघडंत आरोप लगाने की चाल बनाई गई।साजिश के तहत माँस की रिपोर्ट में कोई फेरबदल नही की गई व साबित हो गया कि गौ हत्या हुई है।अब इसका राजनीतिक लाभ लेने के लिए दूसरे पदाधिकारी से बार बार संजीव बैनीवाल पर आरोप लगवाए गए।
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इससे दोनों तरफ फायदा उठाने की कोशिश की गई।
इस आरोप से दोनों पक्ष जो कि एक हो चुके है,ने राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की।इसमे मौजूदा विधायक को यह फायदा मिला कि उनके द्वारा व उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा जो पहले गौ हत्या को अफवाह करार दिया गया था,इस पर कोई सवाल खड़े नही कर पायेगा।लोग इस बात का मुद्दा बना पाए उससे पहले ही लोग संजीव बैनीवाल से सवाल करने लगे।दूसरा पक्ष जो कि भाजपा के ही पदाधिकारी जो कि हकीकत में कॉमरेड की भाषा बोल रहे है उन्हें भादरा से भाजपा का टिकट पर दावा ठोकने का मौका मिल जाएगा क्योंकि इस साजिश के सफल होने से पूर्व विधायक का जनाधार कम हो जाये यही तो प्लान बनाया गया है।
लेकिन भादरा की जागरूक जनता इस खेल को वक्त से पहले ही समझ गई।हालांकि इसमें थोड़ा बहुत नुकसान जरूर हुआ है लेकिन भादरा की जागरूक जनता इस साजिश को नाकाम करने में सफल रही है।पूर्व विधायक जी के विरोधी जो कि इनके अपने दल में है उनका पर्दाफाश हो चुका है।इस घटना से पूर्व विधायक को काफी फायदा भी मिला है क्योंकि इस घटना से उनकी पार्टी के अपने विरोधी अब जनता के सामने आ चुके है और उनका प्लान भी फैल हो चुका है।